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| कल्पना |
Friday, July 16, 2021
Wednesday, July 14, 2021
Sunday, February 7, 2021
Friday, January 22, 2021
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Saturday, December 19, 2020
Sony School की घंटी जब बजती थी लगातार...
सुनते ही मन खिल जाता था बार बार...
उठा के बस्ता गिराके स्याही भागते थे लगातार...
वो स्कूल की छोटी गली थी उस पर गाडियां चलती हज़ार...
घर का रास्ता था लंबा मां छत से देखती थी बार बार...
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Tuesday, December 15, 2020
Sony School...
बो छोटी छोटी गली नीमदा गेट की...
स्कूल में अपनी साईकिल रख के क्लास में भागना...
और मैडम से रोज डाट खाना...
Lunch box को समय से पहले पीछे बैठ के खा जाना...
lunch Time में क्लास में चौक से एक दूसरे पर फेंक फेंक के खेलना
और छुट्टी का इंतजार करना
छुट्टी की घंटी बजती जोर जोर से चिल्लाना और बैग लेके भागना और teachar की डाट खाना
वो भी क्या दिन थे जब हम सब स्कूल में थे
स्कूल के दिन तो होते ही निराले है उन की याद बहुत रहती है
उन ही याद में से एक याद है मेरी जो मेरी ज़िन्दगी का पहला प्यार था और आखरी प्यार रहा
नेहा को चौदह साल की उम्र में ही पहला प्यार हो गया था| नेहा उस समय Sony School में आठवीं क्लास में थी, उम्र कम थी लेकिन मॉर्डन ज़माने में लोग इसी उम्र में प्यार कर बैठते हैं|
नेहा का ये पहला प्यार उसकी क्लास में पढ़ने वाला लड़का “अंकित” के साथ था| अंकित अमीर घराने का लड़का था, उम्र यही कोई 13 -14 साल ही होगी और दिखने में बला की खूबसूरत था| अंकित के पापा का प्रापर्टी डीलिंग का काम था, अच्छे पैसे वाले लोग थे|
नेहा मन ही मन अंकित को दिल दे बैठी थी लेकिन हमेशा कहने से डरती थी| नेहा के पिता की बाजार में एक छोटी सी दुकान थी| उनका परिवार भी सामान्य ही था इसीलिए डर से नेहा कभी प्यार का इजहार नहीं करती थी|
समय ऐसे ही बीतता गया…लेकिन नेहा की कभी प्यार का इजहार करने की हिम्मत नहीं हुई बस चोरी छिपे ही अंकित को देखा करती थी| हाँ कभी -कभी उन दोनों में बात भी होती थी लेकिन पढाई के टॉपिक पर ही.. नेहा दिल की बात ना कह पाई|
समय गुजरा,,आठवीं पास की, नौवीं पास की…अब दसवीं पास कर चुके थे लेकिन चाहत अभी भी दिल में ही दबी थी|
आज स्कूल का अंतिम दिन था| नेहा मन ही मन उदास थी कि शायद अब अंकित को शायद ही देख पाएगी क्यूंकि नेहा के पिता की इच्छा थी कि दसवीं के बाद बेटी को कोटा शहर में पढ़ाने भेजें| डॉक्टर की तैयारी के लिए
स्कूल के अंतिम दिन सारे दोस्त एक दूसरे से प्यार से गले मिल रहे थे, अपनी यादें शेयर कर रहे थे| अंकित भी अपने फ्रेंड्स के साथ काफी खुश था आज..सब एन्जॉय कर रहे थे,, अंतिम दिन जो था लेकिन नेहा की आँखों में आंसू थे|
नेहा चुपचाप क्लास में गई और अंकित के बैग से उसका स्कूल identity card निकाल लिया| उस कार्ड पर अंकित की प्यारी सी फोटो थी| नेहा ने सोचा कि इस फोटो को देखकर ही मैं अपने प्यार को याद किया करुगी|
बैंक से लोन लेकर पिताजी ने नेहा को कोटा पढ़ने भेज दिया| अंकित के पिता ने भी जयपुर शहर में बड़ा मकान बना लिया और वहां शिफ्ट हो गए| नेहा अब हमेशा के लिए अंकित से जुदा हो चुकी थी|
समय अपनी रफ़्तार से बीतता गया,, नेहा ने अपनी पढाई पूरी की और अब वह एक डॉक्टर बन चुकी थी, अच्छी तनख्वाह भी थी लेकिन जिंदगी में एक कमी हमेशा खलती थी – वो थी अंकित की।। लाख कोशिशों के बाद भी नेहा फिर कभी अंकित से मिल नहीं पाई थी|
नेहा के घर वालो ने नेहा के लिए एक डॉक्टर लड़का देखा कर उस लड़का से नेहा की शादी करा दी गई और संयोग से उस लड़का का नाम भी अंकित ही था| नेहा जब भी अपने का नाम लिखती या देखती तो उसके दिल की धड़कन तेज हो उठती थी| आखों के आगे बचपन की तस्वीरें उभर आया करतीं थी| पति को उसने कभी इस बात का अहसास ना होने दिया था लेकिन आज भी अंकित से सच्चा प्यार करती थी|
दोस्तों वो कहते हैं ना कि प्यार अगर सच्चा हो तो कभी नहीं मिलता है ठीक वही हुआ नेहा और अंकित के साथ भी |
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Sunday, December 13, 2020
Ek ladka chup - chap baitha rehta hai....
Kuch kisi se jyda kuch nahi kehta hai....
Dosto se too ghula mila tha....
Par ladkiyon se sharmaya karta tha....
Khulke woh baat nahi kar pata tha....
Ek anjan si khwaish chahta tha....
Apne dard
Apni hiqayat ko woh....
Kabhi nahi batata tha....
Jab ek din aagaz tera hua....
Zindgani mein uski savera hua....
Falak se malak utar gayi thi ab....
Akelepan se andhera hua
Ek din jab uske sath tu baithi thi....
Tune hi ussey baatein shuru kari thi....
Woh zyada kuch toh keh nahi raha tha....
Par smile uski sab kuch keh rahi thi....
Jab rozz tu uske sath àane lagi....
Apni kuch ajeeb....
kuch khas batein....
Batane lagi....
Woh bhi khulke baatein....
Aur majak karne laga....
Dheere - Dheere uska dil tu....
Chori -Chori churane lagi....
Tu hi thi woh pehli ladki....
Jis se khulke usne baatein kari....
Badlaav uss mein tujhse hi aaya....
Aur teri chahat chahane lagi....
Uske yaaro mei teri naam mashoor tha....
Woh baatein teri kare tujh mein kafi mashgool tha....

One sided love
Tu uske sath rozz baitha karti thi....
Par Dil ka Dil se rishta....
Abhi thora dur tha....
Sath tere beete pal uske zindgi bann gaye the....
Tere pas aane se uske lamhe tham gaye the....
Woh beintehaa tujhse mohabbat karta raha....
Par lab uske izhaar kabhi yeh karte nahi the....
Subah aakar apni khoobsurti se tu....
Uska din chamkaya karti thi....
Apne chasme ko bina hataye....
Ussey nazrein milaya karti thi....
Garmi mei jab sooraj ki kirne....

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Rozz - Rozz jalaya karti thi....
Tu baalon ko apne khol kar....
Uspe apna saaya karti thi....
Ek ladka tujhe isharon se dilbar kehta hai....
Woh tere khayalon mein....
Khoya din bhar rehta hai....
Tu uski nazron se kabhi dekha kar khudko....
Ki woh tujhse milne ke liye....
Bechain kis kadar rehta hai....
















