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Heart Beat In Love

Tuesday, December 15, 2020

मेरा पहला प्यार || Mera First Pyaar ||


Sony School...

बो छोटी छोटी गली नीमदा गेट की...
स्कूल में अपनी साईकिल रख के क्लास में भागना...
और मैडम से रोज डाट खाना...
Lunch box को समय से पहले पीछे बैठ के खा जाना...
lunch Time में क्लास में चौक से एक दूसरे पर फेंक फेंक के खेलना 
और छुट्टी का इंतजार करना 
छुट्टी की घंटी बजती जोर जोर से चिल्लाना और बैग लेके भागना और teachar की डाट खाना 
वो भी क्या दिन थे जब हम सब स्कूल में थे
स्कूल के दिन तो होते ही निराले है उन की याद बहुत रहती है
उन ही याद में से एक याद है मेरी जो मेरी ज़िन्दगी का पहला प्यार था और आखरी प्यार रहा

नेहा को चौदह साल की उम्र में ही पहला प्यार हो गया था| नेहा उस समय Sony School में आठवीं क्लास में थी, उम्र कम थी लेकिन मॉर्डन ज़माने में लोग इसी उम्र में प्यार कर बैठते हैं|


नेहा का ये पहला प्यार उसकी क्लास में पढ़ने वाला लड़का “अंकित” के साथ था| अंकित अमीर घराने का लड़का था, उम्र यही कोई 13 -14 साल ही होगी और दिखने में बला की खूबसूरत था| अंकित के पापा का प्रापर्टी डीलिंग का काम था, अच्छे पैसे वाले लोग थे|



नेहा मन ही मन अंकित को दिल दे बैठी थी लेकिन हमेशा कहने से डरती थी| नेहा के पिता की बाजार में एक छोटी सी दुकान थी| उनका परिवार भी सामान्य ही था इसीलिए डर से नेहा कभी प्यार का इजहार नहीं करती थी|


समय ऐसे ही बीतता गया…लेकिन नेहा की कभी प्यार का इजहार करने की हिम्मत नहीं हुई बस चोरी छिपे ही अंकित को देखा करती थी| हाँ कभी -कभी उन दोनों में बात भी होती थी लेकिन पढाई के टॉपिक पर ही.. नेहा दिल की बात ना कह पाई|


समय गुजरा,,आठवीं पास की, नौवीं पास की…अब दसवीं पास कर चुके थे लेकिन चाहत अभी भी दिल में ही दबी थी|
आज स्कूल का अंतिम दिन था| नेहा मन ही मन उदास थी कि शायद अब अंकित को शायद ही देख पाएगी क्यूंकि नेहा के पिता की इच्छा थी कि दसवीं के बाद बेटी को कोटा शहर में पढ़ाने भेजें| डॉक्टर की तैयारी के लिए


स्कूल के अंतिम दिन सारे दोस्त एक दूसरे से प्यार से गले मिल रहे थे, अपनी यादें शेयर कर रहे थे| अंकित भी अपने फ्रेंड्स के साथ काफी खुश था आज..सब एन्जॉय कर रहे थे,, अंतिम दिन जो था लेकिन नेहा की आँखों में आंसू थे|


नेहा चुपचाप क्लास में गई और अंकित के बैग से उसका स्कूल identity card निकाल लिया| उस कार्ड पर अंकित की प्यारी सी फोटो थी| नेहा ने सोचा कि इस फोटो को देखकर ही मैं अपने प्यार को याद किया करुगी|


बैंक से लोन लेकर पिताजी ने नेहा को कोटा पढ़ने भेज दिया| अंकित के पिता ने भी जयपुर शहर में बड़ा मकान बना लिया और वहां शिफ्ट हो गए| नेहा अब हमेशा के लिए अंकित से जुदा हो चुकी थी|
समय अपनी रफ़्तार से बीतता गया,, नेहा ने अपनी पढाई पूरी की और अब वह एक डॉक्टर बन चुकी थी, अच्छी तनख्वाह भी थी लेकिन जिंदगी में एक कमी हमेशा खलती थी – वो थी अंकित की।। लाख कोशिशों के बाद भी नेहा फिर कभी अंकित से मिल नहीं पाई थी|


नेहा के घर वालो ने नेहा के लिए एक डॉक्टर लड़का देखा कर उस लड़का से नेहा की शादी करा दी गई और संयोग से उस लड़का का नाम भी अंकित ही था| नेहा जब भी अपने का नाम लिखती या देखती तो उसके दिल की धड़कन तेज हो उठती थी| आखों के आगे बचपन की तस्वीरें उभर आया करतीं थी| पति को उसने कभी इस बात का अहसास ना होने दिया था लेकिन आज भी अंकित से सच्चा प्यार करती  थी|


दोस्तों वो कहते हैं ना कि प्यार अगर सच्चा हो तो कभी नहीं मिलता है ठीक वही हुआ नेहा और अंकित के साथ भी |





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2 comments:

  1. Bilkul sahi sacha pyar jarur dur ho jata hai

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  2. Wah wah kya love story h dil chhu liya mere sony school k

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