Sony School की घंटी जब बजती थी लगातार...
सुनते ही मन खिल जाता था बार बार...
उठा के बस्ता गिराके स्याही भागते थे लगातार...
वो स्कूल की छोटी गली थी उस पर गाडियां चलती हज़ार...
घर का रास्ता था लंबा मां छत से देखती थी बार बार...
हस्ते हुए रो देती हु मैं
जब स्कूल की मस्ती याद आती हैं
क्या जबरदस्त दिन थे वो
जब ज़िम्मेदारिया नहीं सिर्फ मस्ती थी
हर बात बात पर हस्ती थी
हर दोस्ती भी सच्ची थी
ये उस समय की बात है में 10 क्लास में Sony स्कूल में पढ़ाई करती थी
शाम को में अपनी मम्मी के साथ पार्क घूमने जाती थी में मेरी एक दोस्त भी घूमने आती थी हम दोनों ज्यादा तरह झुलो पर झूलते और मम्मी पार्क में घूमती रहती थी
मेरी दोस्त भी मेरे साथ मेरे क्लास में पढ़ती थी
एक दिन एक लड़का पार्क में आया और झूलो के पास रखी ब्रेंच पर बैठ गया हम दोनों दोस्त झूलो पर थे और हसी मज़ाक कर रहे थे । तभी मेरी दोस्त की नजर उस लड़का पर पड़ी वो बार बात फोन देखता और मुंह नीचे कर के रोने लगता कुछ देर देखने के बात मेरी दोस्त ने उस से पूछने की बोली में ने मना कर दिया और हम वहां से चले गए
दूसरे दिन भी बो दिखा मेरी दोस्त नहीं आयी थी आज तो में ने उस से पूछ लिया क्या बात है ऐसे क्यों रो रहे हो उस ने कुछ नहीं बताया और वो वहा से चलने लगा तभी उस का रुमाल नीचे गिर गया और उस में खून के निशान थे जैसे की किसी ने थूका हो उस रुमाल पर खून से
फिर में ने पूछ लिया क्या हुआ है और ये खून ?
फिर वो बैठ गया और रोने लगा में ने वोला रो मत please बताओ ने क्या हुआ है उस ने बोला उस को खून में कैंसर है 2 स्टेज पर है दवाई चल रही है और मेरे को पता है में नहीं बच सकता हूं मेरे को मरने का दुख नहीं है पर मेरे कारण जो मेरे माता पिता तकलीफ झेल रहे है उस से मेरे को अधिक गुस्सा और रोना आता है । में ने सब बर्बाद कर दी उन की पूजी
मेरी मुलाकात उस दिन अखिलेश से हुई।
वो हम रोज़ एक दुसरे से मिलने लगे,एक दुसरे को जानने जगे, पहचानने लगे और समय के साथ-साथ दोस्ती प्यार में बदल गई पता नहीं चला और धीरे-धीरे हमारा प्यार ओर भी गहरा होता गया
अखिलेश भी आपने मन की शांति के लिए अक्सर पार्क में आया करता था। जिस दिन से दोनों में दोस्ती हुई थी और तब में ने अपनी मम्मी से मिलाया उस को और सारी बात बताई की इस को खून में कैंसर है और ये रोज पार्क आता है।
अब हम दोनों पार्क में मिलने लगे और बाते करते थे घंटो तक में उस से अपनी हर बात शेयर करने लगी उस के साथ और वो मेरे से अपनी बात बताने लगा
वो हर महीना जयपुर जाता था अपने इलाज के लिए और और जब वो पार्क नहीं आता तो मेरे को पार्क में कुछ अच्छा नहीं लगता था
में ने 10 क्लास पास की Sony से और उस ने दूसरे School से 10 पास की थी और छुट्टियां कब निकल गई पता ही नहीं चला हम दोनों में आर्ट्स ली थी उस को में ने वोला तुम sony में एडमिशन क्यों नहीं लेते उस ने वोला मेरे पास इतने रुपए नहीं है sony की फीस दे पाऊ
में ने ये बात अपनी मम्मी को बताई तो दूसरे दिन मेरी मम्मी मेरी फीस जमा करने गई तो उन ने सर से बात की उस के बारे में तो उन सर ने उस का एडमिशन लेने के लिए हा बोल दी और फ्री में पढ़ाने को बोल दिया
में ने ये बात उस को बताई वो खुश हो गया अब हम दोनों एक ही school में पढ़ने लगे और एक दूसरे की मदद करते पढ़ाई में
मेरे को उस से बहुत अधिक लगाव हो गया था 11 पास कर ली हम दोनों ने 12 क्लास में तो हम साथ घर जाते थे और कभी मेरे को चॉकलेट देता तो कभी आइस्क्रीम खिलाता था 12 क्लास में 3 महिना बाद वो स्कूल नहीं आया 3 दिन तक में सोचा वो जयपुर गया होगा अपनी दवाई और इलाज के लिए पर वो फिर कभी स्कूल नहीं आया और में ने पूछा सर से तो पता लगा की वो कुछ दिन पहले ही इस दुनिया को ही अलविदा वोल चुका था उस दिन मेरा मन स्कूल में नहीं लगा और मेरे को बहुत रोना आया में घर जा के रूम में बहुत रोई मेरी मम्मी ने पूछा क्या हुआ है में वोली अखलिश नहीं रहा मम्मी । मम्मी ने मेरे को संभाला
और फिर मेरा स्कूल जाने का मन नहीं करता जब भी में स्कूल जाती मेरे को उस की याद आती और रोना आ जाता
ना मेरा कोई क्लास में मन लगता था ।
आज तक उस की बाते और यादे मेरे दिल में ज़िंदा है।
लेकिन में अखिलेश से सच्चा प्यार करती थी। अभी तक ना में उस की यादों को छोड़ सकी हूं और ना में अपनी जिंदगी में आगे बढ़ पा रही हूं
में ज़िन्दगी में एक कदम आगे बढ़ाती हूं उस की याद मेरे को पीछे खींच लेती है अब आप ही बताये कि अब क्या करना चाहिए ?
कैसे भुला दू में उन यादों को
जिनपे मैंने अपना बचपन बिता दिया
आज भी जब उन, यादों से मिलती हु
लगता हैं फिर मैं बचपन में चल गई
Thank you....
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