हो कर फिर फेल बैठी हूं आज अकेली
ना कोई दोस्त ना कोई सहेली
हूं आज बेहद हतास समझ नहीं आता इस बार क्या करुगी खास
बोल देती हूं मम्मी पापा से नहीं होगा मूझसे नहीं हूं में बाकी लोगों की तरह लाज़वाब
हिम्मत अब टूटने लगी है जोश की वो बाते अब सब झूठी लगने लगी है
पर कितनी भी हिम्मत टूटे इस को बीच में छोड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाऊंगी
मां पापा तो मान भी जायेगे,
इस को बीच में छोड़ के गई तो अपने से पूरी ज़िन्दगी नजर नहीं मिला पाऊंगी
थीं में बहुत पास थी
कुछ ही अर्लिमोर्निंग और कुछ ही देर रातों की बात
चलो कर के देख लेती हु एक और बार
क्या पता पास हो जाऊ यही हो मेरा आखरी बार
पुराने resutl की तरफ जब जब दिमाग जाता है
दिल धड़कता है श्वासे थमने लगती है पर छोड़ूंगी नहीं अपने सपनों का साथ
क्यों की थामा है मैने अपना ही हाथ , थामा है मैने अपना ही हाथ
Thank you....
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